फर्रुखाबाद कन्नौज, फरवरी 26 -- अधिकतर ईरानी परिवार ठंडी सड़क से सटे कब्रिस्तान की भूमि पर रह रहे हैं। समाज से जुड़े लोगों का दावा है कि उनके लोग पांच पीढ़ी पहले हिन्दुस्तान आ गये थे जो अलग-अलग बस गए। उनके पास राशन कार्ड, आधार कार्ड और वोटर आईडी भी है फिर भी उनके रहने का कोई सुरक्षित आशियाना नहीं है। आपके अपने अखबार 'हिन्दुस्तान से चर्चा के दौरान अकरम अली कहने लगे कि सबसे अधिक तकलीफ उस समय होती है जब कोई उन्हें ईरानी कहकर पुकारता है। जबकि उनको रहते हुए दशकों हो चुके हैं और वह पूरी तौर पर हिन्दुस्तानी हैं। एजाज अली कहते हैं कि अभी तक उनके पास सुरक्षित जमीन तक नहीं है। जैसे-तैसे कब्रिस्तान की जमीन के आस पास रहकर गुजारा कर रहे हैं। बस्ती में तो पानी तक के इंतजाम नहीं हैं। सबसे अधिक दिक्कत उस समय होती है जब बारिश का समय होता है। जलभराव से पूरा कब...