फतेहपुर, फरवरी 18 -- फतेहपुर। तमाम तरह की समस्याओं से घिरे नाविकों का साफ तौर पर कहना है कि शासन और प्रशासन हमारी तकलीफों के प्रति कतई संजीदा नहीं है। हम नदी किनारे प्रहरी बनकर लोगों की जान बचाते हैं, लोगों को एक छोर से दूसरे छोर पहुंचाते हैं, लेकिन हमारी जिंदगी के छोर का कोई अता-पता नहीं है। सिर पर खुद की छत तक नहीं है। किराये के मकान में रहते हैं तो इतना कमा नहीं पाते कि पेट भर सकें। गांव का घर इतनी दूर है कि आने जाने में ही पूरा पैसा खर्च हो जाए। कम से कम हमारे लिए छत का इंतजाम होना ही चाहिए। आपके अपने अखबार 'हिन्दुस्तान से बातचीत में नाविकों-गोताखोरों ने ये समस्याएं सामने रखीं। खागा तहसील के महावतपुर असहट नाविक मिथिलेश निषाद कहते हैं कि यमुना, गंगा में घटनाएं होने या फिर स्नान पर्व पर पुलिस-प्रशासन अलग से ड्यूटी लगवाता है लेकिन बदले म...
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