फतेहपुर, फरवरी 18 -- फतेहपुर। गांवों से काम की तलाश में शहर आने वाले करीब 35 सौ दिहाड़ी मजदूरों के पास न तो कोई दफ्तर है न ही ठिकाना। खुली सड़क ही उनकी रोजगार की साथी है। जब वे घर से निकलते हैं तो उन्हें यह नहीं पता होता है कि आज काम मिलेगा भी कि नहीं। पर बिना छांव, पानी और शौचालय के सड़क पर ही खड़े रहना है यह उन्हें पता है। बाकरगंज बाजार में खड़े मजदूर अवधेश ने बताया कि कई सालों से सड़क पर काम की तलाश में खड़े होते हैं। न कोई छाया का इंतजाम है और न ही पीने के पानी की व्यवस्था। पालिका जैसे, बस स्टाप, टैंपो स्टैंड, रैन बसेरा बनाती है वैसे दिहाड़ी मजदूरों के लिए भी स्टैंड या बसेरा बनना चाहिए। जहां छांव, पानी और शौचालय की व्यवस्था हो। काम के लिए मजदूरों को भटकना न पड़े साथ ही लोगों को भी आसानी से मजदूर मिल सकें। मजदूर नौशाद का कहना है कि गांवों में म...