गंगापार, जुलाई 4 -- कोरांव कोरांव से प्रदेश की राजधानी लखनऊ से लेकर सांस्कृतिक नगरी काशी तक, मध्य प्रदेश की सीमा चाकघाट से लेकर कानपुर सहित मिर्जापुर और प्रयागराज के लिए चलने वाली लगभग डेढ़ दर्जन बसें एक के बाद एक कर सभी बंद कर दी गयीं, अब यहां के बस अड्डे के सामने प्राइवेट बसों का कब्जा है। 1964 में बना कोरांव का बस अड्डा आज जुआरियों और अन्य अवैध काम करने वालों का पनाहगार बन गया है। बस अड्डे में काम करने वाले बाबू और अन्य चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी भी बसों के बंद होने के साथ यहां से हटा दिए गए। कमरों में लगे ताले खुले पड़े हैं जिसको कोई पूछने वाला नहीं है। बस अड्डा परिसर में बना शौचालय और हैण्डपम्प गन्दगी के कारण उपयोग करने लायक नहीं है। अन्दर आने और जाने के लिए बना गेट काफी पहले टूट चुका है जिसके कारण अवैध सवारी वाहन आते-जाते रहते हैं। बस अ...