प्रयागराज, मार्च 20 -- प्रयागराज, संवाददाता। गर्मी हो, सर्दी या बरसात। दिन हो या रात। हर स्थिति में इन्हें चुनौतियों का सामना करना है। ऐसा भी नहीं कि इनकी नौकरी पक्की है। इन्हें दिहाड़ी मजदूर भी नहीं मान सकते। निश्चित नहीं कि काम के बदले समय पर प्रोत्साहन धनराशि मिल पाएगी। यदि मिलती भी है तो उसके लिए उन्हें ब्लॉक से लेकर मुख्यालय तक धरना-प्रदर्शन और आंदोलन करने की जरूरत पड़ती है। हम बात कर रहे हैं राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) के तहत जिले में कार्यरत आशा कार्यकत्रियों और आशा संगिनी की। आशा ही स्वास्थ्य विभाग की आखिरी इकाई मानी जाती है। आशा के जरिये ही स्वास्थ्य योजनाओं का लाभ समाज के अंतिम पायदान तक पहुंचता है लेकिन इनकी समस्याएं और मांगें अनसुनी रह जाती हैं। जिले में इस समय 4843 कार्यकत्री और 215 संगिनी हैं। इनमें लगभग 80 आशा कार्यकत...