गंगापार, फरवरी 28 -- किसानों की आर्थिक स्थिति को सुदृढ़ करने एवं खेती की उत्पादकता को बढ़ावा देने के उद्देश्य से स्थापित की गई साधन सहकारी समितियां अब चला-चली की बेला में हैं। अवकाश प्राप्त कर्मचारियों के स्थान पर वर्षों से नए कर्मचारियों की नियुक्ति न होना, टपकती छत, सीलन और जर्जर गोदामों में उर्वरकों को रखने जैसी खस्ताहाल व्यवस्था भी कम कोढ़ में खाज का काम नहीं कर रही है। पीसीएफ द्वारा समितियों को किसानों की सुविधा के दृष्टिगत गेहूं व धान क्रय केंद्र न बनाए जाने जैसी अनेकानेक विषंगतियों के कारण किसानों का धीरे-धीरे मोह भंग होता जा रहा है। बकाए ऋण की समय से वापसी न होना तथा खेती के समय निजी दुकानदारों द्वारा खादों की बाजारों में कालाबाजारी भी इसके उद्देश्यों का बेड़ागर्क कर रही है। कुल मिलाकर इनमें यदि अपेक्षात्मक सुधार न हुआ तो वह दिन दूर ...
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