गंगापार, फरवरी 19 -- महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना इन दिनों अपने हालात पर आंसू बहा रही है। रोजगार सेवक हों या मनरेगा श्रमिक अथवा तकनीक सहायक, इससे जुड़े कार्मिकों को समय से मानदेय और पारिश्रमिक के लाले हैं। प्रतापपुर ब्लॉक पर नजर डालें तो 15 दिन में मजदूरी भुगतान करने का दम्भ भरने वाले इस एक्ट में सभी कागजी औपचारिकता पूर्ण करने के बावजूद करीब तीन माह से सवा करोड़ रुपये मजदूरी का भुगतान अभी लंबित है। इसी प्रकार रोजगार सेवकों और तकनीक सहायकों का मानदेय भी अधर में है। शासन की ओर से कई बहुआयामी कार्य लिए जाने के बावजूद वक्त पर मानदेय के लिए इन्हें एड़ियां घिसनी पड़ती है। कोरोनाकाल में सर्वाधिक रोजगार देने वाली मनरेगा, भुगतान में इतनी असहाय कैसे है, यह विचारणीय प्रश्न है। गांव, गरीब और जरूरतमंदों की जीवन रेखा कहलाने वाली योज...
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