भागलपुर, मई 8 -- युद्ध को लेकर मॉक ड्रिल और ब्लैक आउट 54 साल के बाद पूर्णिया के लोगों ने देखा। इससे पूर्व वर्ष 1971 के दिसंबर महीने में भारत-पाक युद्ध के दौरान लोगों ने मॉक ड्रिल, ब्लैकआउट और सायरन की गूंज सुनी थी। इस 54 साल के दौरान एक पीढ़ी बीत गई। नई पीढ़ी को इसके बारे में बहुत अधिक पता नहीं था। फिर भी स्वयंसेवकों के प्रशिक्षण और प्रशासन की जागरूकता के साथ सोशल मीडिया की कृपा से अधिकांश लोग जागरूक हुए, परंतु मन में कौतूहल लगा रहा। शहर में अधिकांश लोगों ने ब्लैकआउट मेंटेन किया। इसमें प्रशासन की भूमिका अहम रही। सिविल डिफेंस के वालंटियर सबसे आगे रहे। बहुत लोगों ने मॉक ड्रिल और ब्लैकआउट का महत्व बाद में समझा। 8 मई को हर चौक-चौराहे पर ब्लैकआउट की ही चर्चा होती रही। सिविल डिफेंस के मॉक ड्रिल को भी लोगों ने सराहा। जरूरत है लोगों में जागरूकता ...
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