भागलपुर, मई 5 -- नदी के कछार पर बसे कटाव पीड़ितों की जिंदगी एक तरफ जहां हाशिए पर है वहीं इनकी दारुण दास्तान झकझोर देने वाली है। यहां के लोगों की जिंदगी अब एक ऐसी कहानी बन गई है जिस पर हर साल कुछ ना कुछ रिपोर्ट बनती है लेकिन स्थायी समाधान नहीं होता। वैसे तो यहां की समस्या काफी पुरानी है, परंतु वर्ष 1987 की बाढ़ के बाद से महानंदा नदी के कछार पर बसे सिल्ला रघुनाथपुर गांव के कटाव पीड़ित नदी की बर्बरता का शिकार हैं। 1987 के आसपास इस गांव में लगभग 200 परिवार निवास करते थे। नदी का कटान तेज होता गया और इन गरीबों के घर महानंदा की गोद में समाता चला गया। जैसे-जैसे इन लोगों का आवास खत्म होता गया वैसे-वैसे इन लोगों ने अपना अस्थाई आवास बनाना शुरू किया। ऐसे में उनकी जिंदगी घुमंतू भोटिया से भी बदतर होकर रह गई। अभी इस गांव में 18 से 20 परिवार ही मात्र बचे...