भागलपुर, जून 15 -- प्रस्तुति: शैलेंद्र सन्नी अंग्रेजी हुकूमत काल के विरुद्ध आवाज उठाने वाले धमदाहा के इलाके के दलित, आदिवासी एवं महादलित को एक तरफ जहां शत प्रतिशत सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिल पाया है वहीं पर प्रशासनिक उदासीनता के कारण इन मजलूमों को ना तो लाल कार्ड की जमीन पर कब्जा मिला और ना ही बासगीत पर्चा की जमीन पर ही जगह मिली। ऐसी स्थिति सिर्फ धमदाहा की ही नहीं है बल्कि जिले के विभिन्न भागों की है। जब उनकी समस्या धरी की धरी रह गई तो हिंदुस्तान के बोले पूर्णिया मंच पर अपनी आवाज को बुलंदी से रखा। -आर्थिक, सामाजिक एवं शैक्षणिक विकास के मामले में धमदाहा अनुमंडल महादलित एवं अनुसूचित जनजाति के लोग बहुत पीछे हैं। परिणाम स्वरूप अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के हजारों लोगों के समक्ष बसोबास की जमीन नहीं होने की बड़ी समस्या कल की भांति मुं...