पलामू, फरवरी 19 -- मौसम के अनुरूप गीत-संगीत न सिर्फ मन को पुलकित करते हैं वरन इनके माध्यम से समाज को सकारात्मक संदेश देने की पुरानी परंपरा रही है। परंतु लोक कलाओं के प्रति बढ़ती प्रशासनिक, सामाजिक उदासीनता से लोक कलाकारों की साधना भी बुरी तरह प्रभावित हुई है। सामाजिक रूप से भी लोक कलाकार पहचान के मोहताज होते जा रहे हैं। सरकार की ओर से भी सहयोग नहीं मिल रहा है। हिन्दुस्तान अखबार के बोले पलामू अभियान में स्थानीय लोक-कलाकारों ने अपना दर्द बयां किया। मेदिनीनगर। व्यक्ति अपने दैनिक गतिविधियों की थकान को दूर करने लिए अक्सर लोक-संगीत का आनंद लेता है। कुछ गुनगुना कर, कुछ सुनकर नई ऊर्जा हासिल करना चाहता है। लोक कलाकारों की लाइव प्रस्तुति अधिकांश लोगों को आकर्षित करती है। ऐसा अवसर सहजता से समाज में सुलभ होना चाहिए। लोक-सांस्कृतिक विरासत को बचाकर रखने...