पटना, फरवरी 15 -- पटना। लकड़ी के फर्नीचर समेत अन्य उत्पादों के निर्माण में सदियों से महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले बढ़ई समाज के लोग वर्तमान समय में जीवन-यापन के लिए जूझ रहे हैं। बाजार में प्लास्टिक आदि के वैकल्पिक और सस्ते उत्पादों के कारण इनका काम बुरी तरह प्रभावित हुआ है। हालात यह हैं कि फर्नीचर कारीगरों को रोजाना काम नहीं मिल रहा है। ऐसे में ये दूसरे कार्यों की ओर रुख कर रहे हैं। स्थिति बद से बदतर होती जा रही है। सरकारी विभागों और उपक्रमों में फर्नीचर आदि की आपूर्ति में बुनकरों की तर्ज पर स्थानीय बढ़ई के बनाए उत्पादों की खरीद की व्यवस्था होने से उन्हें थोड़ी आर्थिक मदद मिलेगी। राजा से लेकर प्रजा तक, किले से लेकर हवेलियों तक और महल से लकर झोपड़ी तक, कोई भी चारदीवारी बगैर चौखट और दरवाजों के सुरक्षित नहीं हो सकती। इसके लिए जिन कारीगरों की जरूर...