पटना, जून 1 -- पटना के नालारोड की मशहूर मुख्तार टोली कभी रंग-बिरंगे देसी खिलौनों के बाजार के लिए जानी जाती थी। दूर-दराज से दुकानदार और ग्राहक यहां आते थे। लकड़ी, मिट्टी और कपड़े से बने तरह-तरह के खिलौनों की रौनक होती थी। लेकिन समय के साथ इस परंपरागत बाजार की रौनक गायब होती गई। देसी खिलौनों की जगह अब बच्चों के हाथों में चीन निर्मित प्लास्टिक और इलेक्ट्रॉनिक खिलौनों हैं। डिजिटल युग में मोबाइल ने परंपरागत खिलौनों को बच्चों के हाथों से छिन लिया है। मुख्तार टोली के दुकानदार बताते हैं कि कारोबार में करीब 70 प्रतिशत की गिरावट आ चुकी है। कई दुकानदारों ने खिलौनों का व्यापार छोड़ कर दूसरा व्यवसाय शुरू कर दिया है। दुकानदार कहते हैं कि देसी खिलौना बाजार की खोते चमक को वापस लौटाने के लिए सरकार और समाज दोनों के स्तर पर पहल की जरूरत है। खिलौने बच्चों की...