धनबाद, फरवरी 25 -- सरकारी स्कूलों में मिलने वाले मिड डे मील (एमडीएम) के संचालन में रसोइया सह सहायक की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। स्कूलों में चल रहे एमडीएम योजना की रीढ़ रसोइया होती हैं। तमाम परेशानियों के बाद भी पूरी लगन के साथ बच्चों का प्रतिदिन खाना बनाना उनकी सेवा और प्रेम को दर्शाता है। स्कूली बच्चों को अपने घर के बच्चों की तरह भोजन बना कर खिलाने वाली रसोइया की सुधी लेने वाला कोई नहीं है। कम मानदेय तथा न्यूनतम सुविधाओं के बीच रसोइया काम करती हैं। 12 महीने की जगह दस महीने का मानदेय ही रसोइया को मिलता है। हमें काम से 60 साल की उम्र पूरा होते ही उनको काम से हटा दिया जाता है। रिक्त जगहों पर बहाली भी नहीं होती। एमडीएम बनाने के दौरान किसी तरह की दुर्घटना होने पर दुर्घटना बीमा या मुआवजा मिलने की भी गारंटी नहीं है। धनबाद जिले सरकारी स्कूलों मे...
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