देहरादून, मार्च 1 -- महिला स्वास्थ्य कार्यकर्ता (एएनएम) अतिरिक्त काम के बोझ तले दबीं हैं। उनसे उनको बताए गए कामों के अलावा सीएचओ एवं डाटा एंट्री ऑपरेटर तक का काम लिया जा रहा है। अफसरों से शिकायत पर उनकी नहीं सुनी जाती। इससे वे आक्रोशित हैं। कोविड के दौरान जान जोखिम में डालकर काम करने के बाद भी उनको अब तक प्रोत्साहन राशि नहीं मिली। इसके अलावा प्रमोशन और ग्रेड-पे का मुद्दा हल नहीं होने से भी एएनएम मायूस हैं। -प्रस्तुति: कुमुद नौटियाल आपके अपने अखबार 'हिन्दुस्तान के 'बोले देहरादून अभियान के तहत एएनएम ने अपनी परेशानी साझा की। उन्होंने कहा कि उन पर काम का बहुत दबाव रहता है। एएनएम कार्यकर्ता न केवल अपने बल्कि दूसरे संवर्गों के कर्मचारियों के काम भी करने को मजबूर हैं। अब एनसीडी का काम भी एएनएम से ही कराया जा रहा है। हालांकि, एएनएम ने इसका पूरी त...
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