देवरिया, मार्च 27 -- देवरिया। आचार्य रामचंद्र शुक्ल ने लिखा है कि साहित्य समाज को मशाल दिखाता है। वहीं साहित्य के बारे में यह भी कहा गया है कि साहित्य समाज का दर्पण होता है। साहित्यिक चेतना का यह प्रवाह देवरिया में भी रहा है। आज भी नागरी प्रचारिणी सभा से यहां 550 से अधिक साहित्यप्रेमी जुड़े हुए हैं। यहां साहित्यक गोष्ठी और कवि सम्मेलनों के साथ ही साहित्य की दशा और दिशा पर भी चर्चा होती रहती है। साहित्यकार बातचीत में कहते हैं कि जिला मुख्यालय के अलावा हर तहसील में साहित्यिक विमर्श के लिए केंद्र विकसित होने चाहिए। नागरी प्रचारिणी सभा के पूर्व मंत्री इंद्रकुमार दीक्षित बताते हैं कि साहित्य का सृजन करना एक बात है और इसको प्रकाशन के माध्यम से समाज के सामने लाना दूसरी बात। जिले में कई साहित्यकार हुए हैं जिन्होंने कालजयी रचनाओं का सृजन किया पर उस...