देवरिया, फरवरी 27 -- देवरिया। चिट्टी शब्द आते ही लोगों के जेहन में वह डाकिया याद आ जाता है, जो डेढ़ दशक पहले तक शहर से लेकर गांव तक अपनी एक अलग पहचान बनाए रखता था। समय के साथ डाक विभाग अपने को बदलने की कोशिश में लगा है लेकिन विभाग की सबसे मजबूत कड़ी डाकिया के हालात समय के साथ और खराब होते गए। नियमित कर्मचारियों के रिटायर होने के बाद विभाग ने संविदा पर डाकियों की तैनाती शुरू की। इन्हें हर माह करीब 15 हजार रुपये मानदेय मिलता है। इनके लिए न स्वाथ्य की सुविधा है और न ही रिटायर होने के बाद पेंशन। भटनी में तैनात डाकिया काजल राजभर कहती हैं कि उन्हें रोजाना कम से कम 100 डाक बांटनी होती है। इसके अलावा आधार आधारित पेमेंट समेत अन्य कार्य भी करने होते हैं। महंगाई लगातार बढ़ती जा रही है, लेकिन डाकिया के मानदेय में कोई बढ़ोतरी नहीं की जा रही। कम मानदेय के ...
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