जौनपुर, फरवरी 27 -- करीब दस साल पहले अपना और नौनिहालों का भविष्य उज्ज्वल बनाने के उद्देश्य से अनुदेशकों ने उच्च प्राथमिक विद्यालयों में कार्यभार संभाला। तब से अब तक महंगाई, शिक्षा व्यवस्था सहित अन्य क्षेत्रों में खूब बदलाव हुए। लेकिन अनुदेशकों का न मानदेय बढ़ा और न ही उनके मुताबिक स्कूलों में संसाधन। वर्कलोड जरूर बढ़ गए। कंप्यूटर और मैदान नहीं, उनके अनुदेशक दूसरे विषय पढ़ा रहे। कई को दफ्तरों में बाबूगीरी करनी पड़ रही है। महिला अनुदेशकों को मातृत्व और पाल्य अवकाश लेने पर मानदेय कटौती का सामना करना पड़ता है। सिरकोनी ब्लॉक के जूनियर हाईस्कूल सुल्तानपुर में 'हिन्दुस्तान के साथ चर्चा में अंशकालिक अनुदेशकों ने बताया कि उनकी तैनाती जिस उद्देश्य से हुई थी, वह उद्देश्य पूरा नहीं हुआ। प्रेमबहादुर पाल, नीलेश चतुर्वेदी बोले, हमें खुद मलाल है कि हम उस...