जौनपुर, फरवरी 21 -- ग्राम रोजगार सेवक गांवों को संवारते हैं, लेकिन खुद की जिंदगी बदरंग है। वे मनरेगा के तहत मजदूरों को रोजगार दिलाते हैं। गांव में पक्की सड़कें, नालियां, तालाब और अमृत सरोवर बनवाते हैं। हर छोटे-बड़े सर्वे में उनकी ड्यूटी लगती है। बावजूद इसके, उनकी स्थिति दयनीय होती जा रही है। महीनों मानदेय नहीं मिलता, ग्राम प्रधान और अधिकारियों के रहमोकरम पर जीना पड़ता है। ट्रांसफर या प्रमोशन जानते ही नहीं। वे चाहते हैं कि समय पर मानदेय मिले, ट्रांसफर की सुविधा हो, काम में ग्राम प्रधानों की दखलंदाजी बंद हो। गांव से मजदूरों का पलायन रोकने और उन्हें स्थानीय स्तर पर ही रोजगार उपलब्ध कराने के लिए संचालित मनरेगा ने कई गांवों की सूरत बदल दी है। इस काम को प्रभावी बनाने के लिए गांव गांव में नियुक्त ग्राम रोजगार सेवक कई समस्याओं से संघर्ष कर रहे है...