जौनपुर, मार्च 8 -- शिशुओं के पालन-पोषण में जन्मदात्री से कम भूमिका आशाओं की नहीं होती है। वे घर-घर जाकर बच्चों की तबीयत, वजन और खानपान पर नजर रखती हैं। उनकी भावना बिल्कुल मां सरीखी होती है। बहरहाल, सिर्फ भावना से काम नहीं चलता है। काम के लिए थर्मामीटर और वजन मशीन समेत कई उपकरण जरूरी हैं जो उन्हें यहां नहीं मिलते हैं। बताने पर आला अफसर समस्या का समाधान करते नहीं। हां, चूक होने पर भृकुटि जरूर तान लेते हैं। आशाएं सवाल उठाती हैं-'आखिर, बिना संसाधन और सम्मान के वे कैसे काम करें? सिरकोनी ब्लॉक के पिपरियां गांव में 'हिन्दुस्तान के साथ चर्चा के दौरान आशाओं ने कई समस्याएं साझा कीं। मानदेय-सम्मान दूर की बात तो दूर पर्याप्त उपकरण नहीं मिलने से वे निराश दिखीं। पूरी व्यवस्था को सवालों के घेरे में खड़ा कर दिया। पूछा-'जब थर्मामीटर और वजन मशीन ही नहीं मि...
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