जौनपुर, मार्च 18 -- पुस्तकालयों को ज्ञानगंगा का घाट कहा जाता है। ऐसा स्थान जहां पुस्तकें पढ़ने की हॉबी पूरी होती है। साहित्य के विशाल सागर में बिखरे मोतियों से परिचय होता है। पाठक सम-सामयिक घटनाक्रमों से बा-खबर होते हैं तो नई पीढ़ी भी प्रतिस्पर्धाओं की तैयारियों के लिए जरूरी सुविधाएं खोजती है। उसे इस 'घाट पर अध्ययन के लिए अनुकूल माहौल की दरकार होती है। प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारियों में जुटे युवा चाहते हैं कि उनकी जरूरतों के अनुसार संसाधन-सुविधाएं बढ़ाई जाएं तो ईशापुर स्थित राजकीय पुस्तकालय की उपयोगिता बढ़ जाएगी। करीब 850 स्थायी सदस्यता वाले राजकीय पुस्तकालय में 22 हजार से अधिक किताबें हैं। 1997 में स्थापित इस पुस्तकालय में आजीवन सदस्यता शुल्क 225 रुपये है। सन 1997 से अब तक 865 सदस्य बने हैं। पुस्तकालय में लगभग 22 हजार किताबें और दो कंप...