जौनपुर, फरवरी 23 -- हम खाकी पहनकर हर दिन ट्रैफिक व्यवस्था संभालते हैं, थानों में पहरा देते हैं, मुल्जिमों को कोर्ट-कचहरी पहुंचाने में पुलिस का सहयोग करते हैं, अफसरों की सुरक्षा में तैनात होते हैं। जब सुविधाओं की बात होती है, तो हमें कोई याद नहीं करता। हम पीआरडी यानी प्रांतीय रक्षा दल के जवान हैं, जिनकी पहचान एक डंडे और वर्दी तक सीमित है। महीनों बीत जाते हैं मानदेय के इंतजार में। किसी तरह घर चलता है, उधार लेना पड़ता है। न चिकित्सा सुविधा, न ठहरने की व्यवस्था, न बराबरी का वेतन। खाकी वर्दी पहने, कंधे पर जिम्मेदारी का बोझ उठाए प्रांतीय रक्षक दल (पीआरडी) के जवान अपनी ड्यूटी निभा रहे हैं, लेकिन कोई उनकी समस्याओं पर चर्चा नहीं करता। उन्हें कसक रहती है कि प्रशासन भी उन्हें जरूरत के वक्त याद आने वाली टीम समझता है। जबकि थानों से लेकर प्रशासनिक अधिक...