भागलपुर, फरवरी 24 -- काम की तलाश में शहर पहुंचे भवन निर्माण कामगारों की आधा दर्जन से अधिक जगहों पर रोज मंडी सजती है। यहां काम मिल गया तो ठीक वरना निराश-मायूस होकर घर लौट जाते हैं। मॉल, शॉपिंग कॉम्प्लेक्स और बड़ी इमारतें तक बनानेवाले इन कारीगरों की पूरी ऊर्जा दो जून की रोटी की व्यवस्था में चली जाती है। चौराहों पर काम के इंतजार में खड़े कारीगरों का कहना है कि उन्हें सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिलता है। उनके पास औजार खरीदने को रुपये नहीं होते हैं और न ही रोज काम मिलता है। सरकार और प्रशासन को सुधि लेने की जरूरत है। 03 हजार से अधिक राजमिस्त्री है पूरे जमुई जिले में 15 से 20 किलोमीटर दूरी तय कर जमुई आते हैं काम की तलाश में 05 सौ से 700 तक है इनकी प्रतिदिन की मजदूरी गांव में बने मकान और शहरों में बन रही बड़ी-बड़ी इमारतों में भवन निर्माण कामगारों क...