भागलपुर, फरवरी 21 -- जमुई की पहचान साहित्य और कला के क्षेत्र में भी रही है। आज भी कई साहित्य प्रेमी इसकी साधना में जुटे हुए हैं, जो गुमनाम रहकर भी अपने गद्य-पद्य से साहित्य को समृद्ध कर रहे हैं। आज शहर में साहित्यिक गतिविधि न के बराबर हो रही हैं। लेखकों और पाठकों की कमी हो गई है। स्टेशन के स्टॉल पर अब किताबें नहीं बिकतीं। ऐसे में साहित्य साधक अंधेरे में मशाल बनकर खड़े हैं। हालांकि अपने ही शहर में कद्र कम होने से मायूस हैं। हिन्दुस्तान के साथ संवाद के दौरान जिले के साहित्यकारों ने अपनी पीड़ा बयां की। 01 सौ 50 साहित्यकार हैं लगभग जमुई जिले में लिखते हैं गद्य-पद्य 03 कमेटियां है साहित्यकारों की जो इनकी समस्याओं पर करती है विचार 06 से अधिक साहित्यिक कार्यक्रम होते हैं जिला प्रशासन की ओर से कवि सम्मेलनों में हास्य रस के बदले चुटकुलाबाजी होने लग...