भागलपुर, नवम्बर 19 -- -प्रस्तुति: राकेश कुमार सिंह पासी समाज की पहचान पारंपरिक ताड़ी निकालने और बेचने से जुड़ी रही है, पर शराबबंदी के बाद ताड़ी पर प्रतिबंध से उनकी आजीविका पर संकट आ गया है। खेती योग्य भूमि न होने से सैकड़ों पासी परिवार अपने पुश्तैनी व्यवसाय से वंचित होकर पलायन को मजबूर हैं। ताड़ी निकालना कठिन कार्य है-60-70 फीट ऊंचे ताड़ पर चढ़कर रस उतारना कौशल का काम होता है। लेकिन प्रतिबंध से समाज में आक्रोश है। पांडो पंचायत के ललमटिया गांव सहित कई जगहों के पासी समाज के लोग नई सरकार से ताड़ी को कृषि उत्पाद का दर्जा देने की मांग कर रहे हैं। ताड़ी ताड़ या खजूर के पेड़ के फूलों से पारंपरिक तरीके से निकाला गया रस है, जिसे लोग पेय रूप में इस्तेमाल करते हैं। ले के पासी समाज की पहचान उनकी पारंपरिक व्यवसाय मुख्य रूप से ताड़ी निकालने और बेचने से ...
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