भागलपुर, अगस्त 19 -- प्रस्तुति: शंकर सिंह दूसरों का घर व ढांचा खड़ा करने वाले दिहाड़ी मजदूर खुद स्थायी काम और सम्मानजनक मजदूरी से वंचित हैं। इन्हें वर्षभर काम नहीं मिल पाता और जब मिलता भी है तो मजदूरी बेहद कम होती है। नियमित काम की तलाश में ये मजदूर अक्सर ठेकेदारों के चंगुल में फंस जाते हैं। काम की अनिश्चितता से इनके घरों में आर्थिक संकट बना रहता है। किसी सदस्य के बीमार पड़ने पर इन्हें महाजनों से ऊंचे ब्याज पर कर्ज लेना पड़ता है, जिससे कर्ज का बोझ और बढ़ जाता है। मजदूरों का कहना है कि यदि सरकार उन्हें प्रशिक्षण दिलाए तो वे बेहतर काम सीख सकेंगे और उचित मजदूरी भी पा सकेंगे। जिले में रोजी-रोटी के लिए संघर्ष कर रहे दिहाड़ी मजदूरों की स्थिति आज भी दयनीय बनी हुई है। दूसरों के घर और ढांचा खड़ा करने वाले ये मजदूर खुद स्थायी काम व सम्मानजनक मजदूरी...
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