भागलपुर, अप्रैल 5 -- शिक्षा की मशाल जलाने वाली शिक्षिकाएं खुद के लिए सुरक्षित, सम्मानजनक और सहयोगात्मक कार्यस्थल चाहती हैं। ताकि वहां निश्चिंत होकर नन्हे सपनों को बेहतर तरीके से संवार सकें। नौनिहालों को एक बेहतर भविष्य दे सकें। हालांकि दूसरों के सपनों को पूरा करने वालों के अपने ही सपने अधूरे रह जाते हैं। इनकी दिनचर्या रोजाना सुबह चार बजे से शुरू हो जाती है। घर की जिम्मेदारी के बाद बच्चों को पढ़ाने के लिए निकल जाती हैं। फिर सब कुछ भूलकर बच्चों का भविष्य संवारने में लग जाती हैं। रोजाना ये कई चुनौतियों से गुजरती हैं। संवाद के दौरान इन्होंने अपनी समस्याएं बताईं। 02 सौ से अधिक प्राइवेट स्कूल हैं जमुई में निबंधित 01 हजार से अधिक प्रावइेट शिक्षिका करती हैं कार्य 02 से पांच हजार तक मिलता है मासिक मेहनताना प्रधानमंत्री के बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ के न...