भागलपुर, जुलाई 4 -- प्रस्तुति : सुभाष कुमार पांडेय हर सुबह सिकंदरा के छात्र-छात्राएं उम्मीदों के साथ स्कूल पहुंचते हैं, लेकिन वहां न शिक्षक हैं, न प्रयोगशाला और न मार्गदर्शन। शिक्षा केवल औपचारिकता बन गई है, जो उन्हें आत्मनिर्भर बनाने में विफल साबित हो रही है। यह बातें हिन्दुस्तान के 'बोले जमुई' संवाद के दौरान उभर कर सामने आईं। जिले के सिकंदरा प्रखंड स्थित प्लस टू श्रीकृष्ण विद्यालय सिकंदरा में पढ़ने वाले सैकड़ों छात्र-छात्राओं के सपनों में अब जान नहीं रही, उन्हें सिर्फ कागज की डिग्री थमाई जा रही है। हर सुबह वे भविष्य संवारने की उम्मीद लेकर स्कूल की सीढ़ियां चढ़ते हैं, लेकिन वहां पहुंचते ही सच्चाई उनके हौसलों को तोड़ देती है। न प्रयोगशाला है, न शिक्षक और न ही मार्गदर्शन। शिक्षा, जो जीवन को दिशा देने का माध्यम होनी चाहिए, यहां महज औपचारिकता...