भागलपुर, जून 29 -- प्रस्तुति : संजय बर्णवाल झाझा प्रखंड का यह वही बाराकोला पंचायत है और यह वही वन क्षेत्र तथा पहाड़ियों से घिरा दर्जनों गांव हैं, जो कभी गोलियों की तड़तड़ाहट से गूंज उठते थे और जहां नक्सली अपना डेरा जमाए रखते थे। सरकार ने ऐसे अत्यंत पिछड़े लाल क्षेत्रों के विकास के लिए देश के खजाने के द्वार खोल दिए थे। इन इलाकों का भरपूर विकास इस सोच के साथ किया गया कि आम जनमानस में सरकार के प्रति विश्वास बढ़े और ये क्षेत्र विकास की मुख्यधारा से जुड़ सकें। लेकिन झाझा का बाराकोला पंचायत आज भी एक पुल के लिए मोहताज है। अबतक जनप्रतिनिधियों से लेकर प्रशासन तक किसी ने इस ओर गंभीरता से ध्यान नहीं दिया, जिससे पंचायत के लोगों को भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। क्षेत्रवासियों ने हिन्दुस्तान के 'बोले जमुई' संवाद के दौरान अपनी समस्याएं साझा क...