जमशेदपुर, फरवरी 21 -- तेजी से आधुनिक होती दुनिया के कारण पारंपरिक व्यवसाय हाशिये पर हैं। खासकर फैशन और कपड़ों की बात करें तो रेडीमेड कपड़ों ने दर्जी के व्यवसाय पर काफी प्रभाव डाला है। दुर्गापूजा या अन्य त्योहारों में नए कपड़े सिलवाने का चलन कम होता जा रहा है। एक समय था, जब हर त्योहार के वक्त लोग अपनी पसंद के कपड़े दर्जी के पास सिलवाते थे। हालांकि इस दौर में भी दर्जी अपने व्यापार के विस्तार के लिए प्रयासरत हैं। शहर में शायद ही कोई ऐसा बाजार या क्षेत्र होगा, जहां दर्जी की एक दुकान न हो। शहर में इनकी संख्या करीब 7 से 8 हजार है। कोई किसी वर्कशॉप में काम कर रहा है तो कोई किसी दुकान से जुड़कर जीवन-यापन कर रहा है। कई लोग अपनी अपनी दुकान चला रहे हैं। कमोबेश सबकी अपनी परेशानी है। अगर शहर में दर्जी की बात की जाए तो इनमें से ज्यादातर शहर के बाहर यान...
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