गोरखपुर, मार्च 20 -- Gorakhpue news:बक्शीपुर बाजार का नाम आते ही आंखों के सामने किताबों की मंडी का नजारा सामने होता है। जिन्होंने अस्सी और नब्बे के दशक में यहां की रौनक देखी है, उन्हें वर्तमान समय में यहां कुछ गायब दिखेगा। किताबों की दुकानों पर न तो कतार दिखेगी न कॉपियों को लेकर मारामारी। और न ही पुराने किताबों के बदले नई किताबों को खरीदने की होड़। पुराने किताबों की बाइंडिंग कराकर पढ़ने वाले छात्र नहीं हैं तो इसके कारीगर भी गायब हो गए हैं। ऑनलाइन और गूगल में स्टडी मटेरियल की बहुतायत ने पुस्तक मंडी को वीरान कर रखा है। आठवीं तक के स्कूलों में प्रवेश के समय की मारामारी स्कूल संचालकों और कुछ बड़े खिलाड़ियों की सेटिंग में गायब हो गई है। अच्छी बात यह है कि कुछ युवा कारोबारी नया पब्लिकेशन शुरू कर चुके हैं, जो गोरखपुर विश्वविद्यालय से लेकर मुंशी प्रे...
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