गोंडा, दिसम्बर 1 -- शहर के अधिकांश पार्कों की दुर्दशा, दो-तीन अपवादों के भरोसे आम जनता की उम्मीद टिकी है। शासन व प्रशासन की ओर से बाकायदा पार्को के रखरखाव व संरक्षण के लिए कई योजनाएं संचालित की जा रही है। बढ़ती आबादी, सिमटते मैदानों के साथ बदलते जीवन के परिवेश में पार्को की अहम भूमिका है। इसी के चलते कालोनियों व सोसायटी के बीच पार्को का भी निर्धारण जरूरी होने के बावजूद नौनिहालों का बचपन घरों में कैद होकर न रह जाए व बुजुर्ग जनों व घरों में दिन भर कामकाज में जुटी महिलाओं को सुकून के दो पल और खुली ताजी हवा मिल सके। गोण्डा। शहर का शहरी ढांचा जिस तेजी से फैल रहा है, उसी तेजी से लोगों की जीवनशैली भी बदल रही है। भाग-दौड़ भरी दिनचर्या, तनाव और प्रदूषण भरे वातावरण के बीच अगर कोई चीज सबसे सस्ती, सरल और सुरक्षित स्वास्थ्य दे सकती है तो वह है सुबह-शाम ...