गोंडा, जुलाई 17 -- ट्रक चालकों की जिंदगी आसान नहीं है। परिवार से दूर रहकर दो जून की रोटी के जुगाड़ में उनकी जिंदगी घिसटकर चल रही है। आर्थिक-सामाजिक दुश्वारियां जगह-जगह रोड़े अटका रहीं हैं। उन्हें न तो समाज में अपेक्षित सम्मान मिल रहा है न ही आसानी से जिंदगी गुजर-बसर करने के लिए मेहनताना। ट्रक मालिक से लेकर पुलिस व परिवहन विभाग के अफसरों की झिड़कियां ही उनकी नियति बन गई है। गोण्डा। किशोरावस्था में ट्रक धुलाई से अपनी जिंदगी की शुरुआत और बाद में स्टेयरिंग पकड़ने तक का सफर कांटों भरा होता है। किशोरावस्था में क्लीनर का काम करते-करते लोग चालक बनते हैं। चालक का शागिर्द आगे चलकर कुशल चालक बनता है। शागिर्दी के दौरान उसे बहुत पापड़ बेलने पड़ते हैं। अपने उस्ताद की डांट सहकर वह स्टेयरिंग पकड़ने तक का सफर तय करता है। इस दौरान उसके जीवन की सबसे बड़ी मु...