गोंडा, जून 25 -- धूप में झुलसी पीठ, पसीने से भीगा कुर्ता और आंखों में एक बेजान-सी उम्मीद लिए खड़े किसान हमेशा बेहतरी की उम्मीद पर खेती-किसानी में जुटे रहते हैं। दिन-रात मेहनत करके खेत तैयार करने वाले किसान को जब वक्त पर खाद-बीज नहीं मिलता तो उनका भरोसा ओर सपना दरक जाता है। हिन्दुस्तान के बोले गोण्डा मुहिम में खाद-बीज के संकट पर किसानों ने कहा कि धान की नर्सरी लगाने का आदर्श समय रोहिणी नक्षत्र बीत चुका है। इसमें धान की नर्सरी तैयार करना बहुत शुभ माना गया है। लेकिन बारिश शुरू होते ही समितियों से यूरिया की खाद लेने के लिए मारामारी मची है। इसी प्रकाश रबी की सीजन में डीएपी के धक्के खाने पड़ते हैं। किसानों का कहना है कि सरकारी कृषि गोदामों पर उन्नत किस्म के बीज न मिलने पर उन्हें निजी दुकानों का सहारा लेना पड़ता है। गोण्डा। मौजूदा वक्त में जिले ...