गोंडा, जून 19 -- जिले के लोगों को उनके घर के नजदीक प्राथमिक उपचार के लिए 52 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र संचालित किए जा रहे हैं। शासन की ओर से इन प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों को आरोग्य मंदिर के रूप में विकसित किया गया लेकिन व्यवस्था नहीं बदल सकी। ज्यादातर पीएचसी खुद ही बीमारी की हालत में हैं। आठ तो ऐसे प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र हैं, जो वर्षों से डाक्टर विहीन हैं। कई पर कागज में डाक्टर की तैनाती है लेकिन मौके पर फार्मासिस्ट के सहारे हैं। वहीं ज्यादातर पीएचसी पर स्टाफ व डाक्टर रात में रुकने की जहमत नहीं उठाते, जिससे लोगों को इमरजेंसी में इलाज नहीं मिल पाता है। कार्पोरेशन से दवा आपूर्ति शुरू होने से दवाओं की उपलब्धता कुछ जरूर सुधरी है लेकिन रखरखाव के अभाव में लोगों को सुविधा नहीं मिल पा रही है। कुल मिलाकर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र अपने उद्देश्यो...