गोंडा, मई 28 -- बढ़ती आबादी, सिमटते मैदानों के साथ बदलते जीवन के परिवेश में पार्कों की अहम भूमिका है। इसी के चलते कॉलोनियों व सोसाइटी के बीच पार्कों का भी निर्धारण जरूरी कर दिया गया है। नौनिहालों का बचपन घरों में कैद होकर न रह जाए व बुजुर्गों और महिलाओं को सुकून के दो पल, खुली ताजी हवा मिल सकें, इसके लिए पार्कों का प्रावधान किया गया है। हिन्दुस्तान ने बोले गोण्डा मुहिम के तहत इस मुद्दे पर शहर के लोगों से बातचीत की। गोण्डा। घनी आबादी और बढ़ती कॉलोनियों के बीच सुकून के दो पल लोगों को पार्क में मिल जाता है। लेकिन शहर के ज्यादातर पार्क बदहाल पड़े हैं। इससे दिन भर दफ्तर के कामकाज के बाद तनाव भरी जिंदगी में पार्क में सुकून मिलना भी मुश्किल हो गया है। इसी तरह महिलाएं व बच्चों से लेकर बुजुर्गों के दिन भी घरों और कमरों में बीत रहा है। पार्कों से न स...