गाजीपुर, फरवरी 16 -- एक तो मानदेय कम, उस पर अतिरिक्त काम (एक्स्ट्रा) का भुगतान नहीं! आखिर आशा बहुएं कैसे जिएं? यह ऐसा सवाल है जिसका जवाब शासन-प्रशासन के पास नहीं है। उनका संकट यही नहीं खत्म होता है। ट्रेनिंग दिए बिना उनसे ऑनलाइन काम लिया जाता है। और तो और, जिम्मेदारी नहीं होने के बावजूद उन्हें क्षय (टीबी) रोगियों की पहचान में लगाया जाता है, वह भी बगैर सुरक्षा उपकरण और किट के। वे संक्रमित हों, न हों-अफसरों की बला से! सारी चुनौतियों के बाद भी उन्हें काम से गुरेज नहीं है। बशर्ते, उनका 'ख्याल किया जाए। बंधवा क्षेत्र में 'हिन्दुस्तान के साथ चर्चा के दौरान आशा बहुओं ने कई समस्याएं साझा कीं। बताया कि वे सामाजिक स्वास्थ्य कार्यकत्री होती हैं। ग्राम प्रधान स्वच्छता समिति की बैठक में उनकी नियुक्ति होती है। आशा संगठन की अध्यक्ष रेनू राज ने बताया कि ...
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