गाजीपुर, मार्च 11 -- देश की आजादी के बाद कानून-व्यवस्था से जुड़ी विकट परिस्थितियों पर नियंत्रण एवं उनकी पुनरावृत्ति रोकना यूपी में भी एक गंभीर चुनौती थी। उससे निपटने के लिए सन-1948 में प्रांतीय रक्षक दल (पीआरडी) की स्थापना की गई थी। अब पीआरडी के जवान सिविल या ट्रैफिक पुलिस के सहयोगी के रूप में काम करते हैं। ये जवान दैनिक भत्ता की कमी, ड्यूटी में मनमानी और संसाधनों की कमी से जूझ रहे हैं। ड्यूटी लगवाने के लिए अफसरों से मनुहार करनी पड़ती है। वे विसंगतियों से भरे हालात से उबरना चाहते हैं। विशेश्वरगंज पुलिस चौकी के पास जुटे पीआरडी जवानों ने 'हिन्दुस्तान से बातचीत में समस्याएं साझा कीं। पीआरडी संघ के अध्यक्ष ओमप्रकाश ने विभागीय कर्मचारियों पर भ्रष्टाचार का सीधा आरोप लगाते हुए कहा कि कुछ बाबुओं की मिलीभगत से ड्यूटी लगाने में बड़ा खेल किया जाता ह...
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