गाजीपुर, फरवरी 23 -- बहुत अच्छा लगा जब शिक्षामित्र बने। जिम्मेदारियों से घबराए नहीं। स्थायी शिक्षकों के कंधे से कंधा मिलाकर अपने स्कूल के शैक्षणिक स्तर में सुधार के लिए हर संभव प्रयास किए। करते चले आ रहे हैं। बीएलओ समेत दूसरी जिम्मेदारियां भी निभाते हैं मगर महीने भर का खर्च चलाने लायक मानदेय नहीं मिलता। बोर्ड परीक्षा में ड्यूटी का पारिश्रमिक पांच वर्षों से बकाया है। 20 वर्षों से समायोजन का इंतजार कर रहे हैं। अच्छी डिग्रियां होने के बाद भी अपात्र बता दिया जा रहा है-यह दर्द है जिले के शिक्षा मित्रों का। महुआबाग प्राथमिक विद्यालय परिसर में शिक्षामित्रों ने 'हिन्दुस्तान से अपना दर्द साझा किया। एमए डिग्रीधारी संध्या मिश्रा मुगलानी चक प्राथमिक विद्यालय में शिक्षामित्र हैं। बताया कि जनवरी में मानदेय के रूप में पांच हजार रुपये मिले हैं। इतने पैसो...