गाजीपुर, मार्च 22 -- शैक्षिक गुणवत्ता में सुधार के लिए एक जुलाई 2013 से परिषदीय स्कूलों में 'अशंकालिक अनुदेशक शिक्षक रखे गए। बच्चों को आर्ट ऑफ एजुकेशन, हेल्थ एंड फिजिकल एजुकेशन और वर्क एजुकेशन की शिक्षा देना इनका मुख्य काम था। तीन कक्षाएं लेनी थीं लेकिन अब उनसे पूरे समय पढ़ाई कराई जा रही है। उन्हें प्रतिमाह नौ हजार रुपये मिलते हैं। सभी कक्षाएं न लेने पर नवीनीकरण न कराने के साथ सेवा समाप्ति की धमकी मिलती है। अनुदेशकों का कहना है कि उन्हें नियमित शिक्षक की तरह सम्मान-सुविधाएं मिलें तो हालात बदल जाएंगे। परिषदीय स्कूलों में पठन-पाठन का कार्य कर रहे अंशकालिक अनुदेशक शिक्षकों ने विशेश्वरगंज में 'हिन्दुस्तान से अपनी पीड़ा को साझा किया। कहा कि उनसे सेवा पूरी ली जा रही है, लेकिन मानदेय बहुत कम मिल रहा है। उनकी मांग सिर्फ अधिकारियों के 'डस्टबिनतक स...