गाजीपुर, मार्च 4 -- गाजीपुर। गाजीपुर जिले के चार सौ नाविक (माझी) परिवार आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं। सावन माह और छठ पर्व पर वे घाटों के किनारे दिन-रात ड्यूटी करते हैं। उसका उन्हें समय से पारिश्रमिक नहीं मिलता। पिछले दो साल का भुगतान लटका है। उनके मोहल्लों का विकास कागज पर ही दिखता है। 'आपदा मित्र और 'गोताखोर कार्ड को वे लॉलीपॉप मानते हैं। उन्हें लॉलीपॉप नहीं, आजीविका चाहिए। पक्काघाट से सिकंदरपुर घाट के बीच 400 नाविक परिवार हैं। उनकी आजीविका का मुख्य साधन गंगा और नाव है। गंगा में हो रहे ड्रेजिंग के कारण पानी घाट से काफी दूर चला गया है। इस कारण मछवारों को अब मछली मारने के लिए लंबी दूरी तय करनी पड़ती है। इससे उनके सामने आर्थिक संकट खड़ा हो गया है। पक्का घाट पर 'हिन्दुस्तान से चर्चा में नाविकों का दर्द दिखा। पप्पू निषाद ने कहा कि हमारे पास कोई ब...