गया, सितम्बर 15 -- वजीरगंज प्रखंड मुख्यालय से लगभग 11 किलोमीटर पूर्व में गेहलौर घाटी है। आज पूरी दुनिया प्रेम को प्रदर्शित करने वाले बाबा दशरथ मांझी की कर्मस्थली के रूप में जानती है। इससे तीन किलोमीटर पहले महाभारत काल के समय से स्थापित हड़ाही स्थान व प्राचीन बौद्ध कालिन अवशेषों को समेटे बुद्ध विहार स्थापित है। यह रूक्मिणी हरण स्थल के नाम से भी जाना जाता है। कहा जाता है कि कुण्डलपुर आज कुर्किहार के नाम से विख्यात है, उसके राजा भीष्मक की पुत्री राजकुमारी रूक्मिणी को श्री कृष्ण ने स्नान करने व पूजा करने के दरम्यान हरण किया था। कुर्किहार मोड़ से लेकर गेहलौर घाटी तक लगभग सात किलोमीटर सड़क पूरी तरह से जर्जर हो चुकी है। इसके कारण क्षेत्र के ग्रामीणों में सरकार के प्रति रोष व्याप्त है। पर्यटन स्थल कुर्किहार, हड़ाही स्थान और गेहलौर घाटी को जोड़ने वाली ...