कुशीनगर, मार्च 20 -- बोले घटती आमदनी, बढ़ती स्पर्धा से आजीविका पर संकट Kushinagar News : एक समय हर घर में कपड़े सिलवाने का चलन था, लेकिन आज रेडीमेड-फैंसी कपड़ों का बाजार छाया हुआ है। उस पर ऑनलाइन शॉपिंग से दर्जी मास्टरों की आजीविका मुश्किल में है। सस्ती मशीनों से निर्मित पोशाकों, सिलाई के महंगे सामान और घटते ग्राहकों ने छोटे दर्जियों की कमर तोड़कर रख दी है। पारंपरिक हुनर और मेहनत के बाद भी वे आज की प्रतिस्पर्धा में पिछड़ रहे हैं। डिजिटल दुनिया से कटे यह कारीगर नई पीढ़ी तक नहीं पहुंच पा रहे हैं। 'हिन्दुस्तान' से बातचीत में दर्जी मास्टरों ने अपनी समस्याओं पर खुलकर बातचीत की। ------------------------ कुशीनगर जिले में 2500 से अधिक दर्जी हैं। दर्जी केवल कपड़े नहीं सिलते, बल्कि लोगों की पहचान और आत्मविश्वास को आकार देने का भी काम करते हैं। आज त...
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