आगरा, मई 1 -- धूप देखते हैं न ताप। जंगल में खुले आसमान में डेरा डालकर रहकर मधु मक्खियों का पालन करते हैं। इसके बाद जब शहद डिब्बों में आता है। शहद निकालकर बेचने की तैयारी करते हैं तो कंपनियां और बिचौलिए शहद खरीदने में तरह-तरह के हथकंडे अपनाते हैं। जिससे शहद किसी भी तरह से सस्ता मिल जाए। मनमानी रेट लगाते हैं। ऐसा पिछले कई सीजन से हो रहा है। अबकी बार भी ऐसा ही हुआ। जिससे मधु मक्खी पालन करने वाले करीब 300 परिवारों के लोग प्रभावित हो रहे हैं। सभी के पास कई-कई क्विंटल शहद रखा हुआ है, मेहनत मजदूरी भी नहीं निकल पा रहे हैं। हिन्दुस्तान के बोले कासगंज संवाद में मधु मक्खी पालकों ने अपनी पीड़ा साझा की। मधु मक्खी पालन और उनके परिवारीजन परेशान आपके अपने हिन्दुस्तान अखबार के बोले कासगंज संवाद में मधु मक्खी पालन करने वालों ने अपनी समस्या साझा की। इन दिनो...
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