वाराणसी, सितम्बर 30 -- वाराणसी। त्योहारों के मौसम में दिलो-दिमाग पर तनाव हावी है। वे निश्चिंत नहीं हैं कि दीवाली और देवदीपावली उत्सव उनकी जिंदगी में उजास भर पाएंगे क्योंकि त्योहारी आर्डर पूरा करने के लिए उनके पास न मिट्टी है न ऐसी आर्थिक स्थिति जिससे महंगे दामों पर दूर से मिट्टी मंगा सकें। यहां तक कि दूसरे जरूरी आइटम भी नहीं बना पा रहे हैं। चाक 14-16 घंटे नहीं चल पा रहे। माटी कला से जुड़ी योजनाएं उनकी रिहाइश से दूर हैं। रामनगर के कुंभकारों की जिंदगी का सुर-लय और ताल बिगड़ चुकी है। काशी के उपनगर-रामनगर में कुम्हारों की सदियों से रिहाइश है। गोला, रामपुर, साहित्यनाका, मछरहट्टा आदि मोहल्लों में 800 से अधिक परिवार रहते हैं। रामपुर में 100 के आसपास परिवार हैं। ये सभी पीढ़ियों से आबाद हैं। उन्होंने 'हिन्दुस्तान से बातचीत के दौरान उन चुनौतियों पर...
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