वाराणसी, सितम्बर 29 -- वाराणसी। खंदक का रूप ले चुकी सड़क, हर ओर कूड़ा-कचरा, गड्ढों-रास्तों पर जमा पानी की सड़ांध-ये समस्याएं हर रोज सूजा की तरह पैर ही नहीं, पूरे शरीर में चुभती हैं। नगर निगम और उसके जिम्मेदारों से पिछले तीन साल से मिल रहा आश्वासन भरोसा तोड़ रहा है। लोग कहते हैं कि अब हम किससे अपना दुखड़ा रोएं। गंगा किनारे बसा सूजाबाद बनारस और चंदौली की सीमाओं पर स्थित है। सीमा का स्पष्ट निर्धारण न होने के नाते विकास के नाम यहां कुछ अड़चनें बनी हुई हैं। इसका खामियाजा नई बस्ती मोहल्ले के बाशिंदे भुगत रहे हैं। 'हिन्दुस्तान से बातचीत शुरू करने से पहले उन्हें लगा कि किसी सरकारी विभाग की टीम आई है। कई बार गुहार लगा कर आजिज आ चुके लोगों ने एकबारगी कुछ बोलने-बताने से मना कर दिया। बाद में खुले तो उनकी पीड़ा तटबंध तोड़ती दिखी। गोलू उपाध्याय, राहुल ...
Click here to read full article from source
To read the full article or to get the complete feed from this publication, please
Contact Us.