वाराणसी, सितम्बर 27 -- वाराणसी। पुराने मोहल्ले के इर्दगिर्द मकान बनते गए और नई बस्ती आबाद होती गई। मगर, ढाई दशक बाद भी हमें सुविधाओं के स्तर पर नयापन का एहसास नहीं होता। सीवर समस्या के चलते कई परिवार यहां से कहीं और जा बसे हैं। कुत्तों (श्वान) और आवारा जानवरों का ऐसा आतंक कि घरों से बाहर निकलना मुश्किल। सड़क का हाल देख लीजिए। चौतरफा फैली गंदगी और उसकी बदबू बीमारियों की वजह है। स्ट्रीट लाइट के बिना शाम के बाद रास्ते उदास हो जाते हैं-यह कहना है मड़ौली नईबस्ती के नागरिकों का। नगर निगम की सीमा के विस्तार के बाद मड़ौली वार्ड बना है। इस वार्ड के नागरिक भी आधिकारिक रूप से नवशहरी हैं। 500 से अधिक मकान और दो हजार के आसपास आबादी वाली मड़ौली नई बस्ती में प्रवेश करते ही झटका लगता है-क्या शहर के निकट भी कोई कॉलोनी इतनी खस्ताहाल हो सकती है? बीते लगभग त...