वाराणसी, सितम्बर 14 -- वाराणसी। काशी और मिथिला के सांस्कृतिक संबंधों की प्रगाढ़ता का अंदाजा इसी से लगा सकते हैं कि आज मिथिला क्षेत्र के लगभग एक लाख लोग 'काशीवासी के रूप में खुद को ढाल चुके हैं। मैथिल समाज यहां की संस्कृति से न सिर्फ ओतप्रोत है, बल्कि सांस्कृतिक-धार्मिक गरिमा को भी गतिमान किए है। समाज के लोगों की अपेक्षा है कि आदि शंकराचार्य से शास्त्रार्थ करने वाले पं. मंडन मिश्र की प्रतिमा की पुन: स्थापना की जाए, दरंभगा के लिए सीधी ट्रेन चलाई जाए, जिससे दोनों ही धार्मिक क्षेत्रों की प्रगढ़ता को नया कलेवर मिले। काशी में मैथिल समाज के योगदान, मंदिरों का निर्माण, रखरखाव के साथ ही सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण की दिशा में प्रयासों को नए तेवर की जरूरत है। अभी ज्यादातर लोग इस समाज के योगदान से 'अनछुए हैं, यह स्थिति बदले और मैथिल समाज की पहचान क...