वाराणसी, मार्च 13 -- वाराणसी। हम न तो नवशहरी हैं और न ही नवगठित वार्ड के बाशिंदे। पांच वर्षों की पार्षदी के पांच कार्यकाल बीत चुके हैं लेकिन अब तक नागरिक सुविधाओं के नाम पर हमारा कोष खाली है। भगवान बुद्ध की उपदेशस्थली का पड़ोसी होने का भी अब तक कोई फायदा नहीं मिला है। सड़क-सीवर की समस्याओं ने हमारा यहां बसने का उल्लास छीन लिया है जबकि हर शाम से सुबह तक चोरों के डर से हम हर्षित होना भी भूल चुके हैं-यह दर्द है सारनाथ वार्ड की हर्ष नगर कॉलोनी के बाशिंदों का। नगर निगम की सीमा में तीन वर्ष पहले हुए विस्तार के बाद कुछ कॉलोनियां और गांव सारनाथ वार्ड में जुड़कर नवशहरी बन गए लेकिन कुछ कॉलोनियां ऐसी भी हैं जो वार्ड गठन के समय से नगर निगम का हिस्सा हैं। लेकिन, बुनियादी नागरिक सुविधाओं का उनके यहां भारी टोटा है। उनमें कोरियाई मंदिर के पास बसी हर्ष नग...