वाराणसी, फरवरी 17 -- वाराणसी। माता देवकी ने कान्हा को जन्म दिया मगर कान्हा का बचपन मइया यशोदा की गोद में बीता। यशोदा किसी स्वार्थ बिना कान्हा का पोषण करती रहीं। जिले के परिषदीय विद्यालयों में भी ऐसी 'यशोदा मां हैं। मामूली मानदेय पर सुविधाविहीन व्यक्तिगत जीवन बिताते हुए वे हर दिन बिना छुट्टी-बिना नागा स्कूल में छह घंटे का समय देती हैं। हर बच्चे को अपना मानकर उसका ध्यान रखती हैं। स्कूलों में मिड-डे-मील बनाने, परोसने और खिलाने के लिए तैनात महिला रसोइया मानदेय में वृद्धि और पेंशन-आवास योजनाओं में लाभ चाहती हैं। बनारस के 1134 विद्यालयों में तैनात इन 4136 रसोइया में ज्यादातर महिलाएं हैं। मंडुवाडीह स्थित एक विद्यालय में जुटीं कई स्कूलों की महिला रसोइया ने 'हिन्दुस्तान से अपनी दुश्वारियां साझा कीं। स्कूलों में शिक्षिकाओं और परिवार के सदस्यों की त...